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(काॅलम) तेज खबरिया की चुनावी डगरिया, हमें न भुलाना हम भी है मैदान में…

रीवा की 8 सीटों के अनुपात से कांग्रेस के 6 गुना दावेदार, जानिए कौन कौन है दावेदार


संपादकीय संजय मिश्र
आगामी विधानसभा चुनाव का विशेषांक


तेजखबर 24 रीवा डेस्क।
कुछ माह के अंतराल के बाद हमारे मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं । जिसको लेकर सियासी सरगर्मी तेज होती जा रही है । आइए हम मिलकर आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा करते हैं। सबसे पहले अपन अगर बात करें चुनाव की तो इस त्रिस्तरीय पंचायत व निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता अपने व अपनो को टिकट न दिला पाने के बाद अंडर करंट से प्रवाहित है। जिसके प्रवाह में तेजी आने की संभावना से राजनैतिक हल्का भी चिंतित है। स्थानीय चुनाव की कसरत व इसके नतीजे काफी कुछ विधानसभा को प्रभावित करते हैं ।यूं भी कह सकते हैं कि नतीजे का ब्लूप्रिंट ही आगामी बड़े चुनाव का रुझान माना जाता है।
हम सब यह जानते हैं कि लोकसभा की गद्दी पर कब्जा करने का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। इसी तरह मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भी विंध्य अंचल की राजनैतिक भूमि बेहद अहम रहती आई है। यहां से निकलते जीत के समीकरण राजनैतिक फिजा में न केवल गमक ते हैं बल्कि सत्ता का सूत्रधार कौन होगा इसके फैसले में अपनी विशेष भूमिका निभाते हैं। डेढ़ दशक के बाद कांग्रेस पार्टी सत्ता पर काबिज होकर भी 5 साल के सुख से वंचित हो गई थी। अब एक बार फिर मध्य प्रदेश की सत्ता में आने के लिए तेजी से हाथ-पांव मार रही है। क्योंकि विधानसभा के नतीजे में विंध्य की भूमिका अहम है ऐसे में इस क्षेत्र से टिकट को लेकर होड़ मच ना स्वाभाविक भी है। कांग्रेस आला कमान भी लगातार ऐसे संभावितो को भाप भी रही है, और नाप भी रही है, तो वही पुराने सूरमा अपने चेलों के माध्यम से तेल मालिश में जुट गए हैं, दूसरी तरफ नए योद्धा भी चुनावी रण की माटी को शरीर में मलने लग गए हैं । पिछले 3 चुनाव में विंध्य से टिकट वितरण में हुई गड़बड़ी का मुद्दा भी सर चढ़कर बोल सकता है । इन सबका चुनाव को क्या लेना देना । वह तो अपने समय पर ही होगा चाहे फिर स्थिर सरकार हो या फिर अस्थिर सरकार रही हो।

महिला नेत्रियों की हसरत …
चुनाव लड़ने की तमन्ना हर कार्यकर्ता की होती है । या यूं कहें कि यह उसका एक तरह से हक भी माना जा सकता है। विंध्य में चुनावी सरगर्मी का मुख्य केंद्र बिंदु कहे जाने वाले रीवा जिले से कांग्रेस की कई दिग्गज हस्ती है जो अपने आप को एक बार फिर दावेदार मान रहे हैं। महिला प्रथम की तर्ज पर हम चर्चा करें तो पिछले चुनाव में महापौर के लिए पार्टी से बगावत कर चुनाव रण में कूदने वाली फिर निष्कासन व बाद में संगठन में बड़ी जिम्मेदारी निभा रही कविता पांडे इस बार चुनाव लड़ने के फुल मूड में दिखाई दे रही है। इसके अलावा बबीता साकेत ,विद्यावती पटेल, सीमा सिंह जरहा ,इंजीनियर प्रीति वर्मा ,अर्चना त्रिपाठी ,अरुणा तिवारी, पूर्णिमा तिवारी ,गीता माझी को उनके अपने क्षेत्र से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

पुरुष दावेदार भी मैदान में…
नारी शक्ति के बाद अब पुरुष दावेदारों पर नजर डालें तो एक से जोधा पडे हुए हैं जिनमें से पूर्व का तमगा रखने वाले राजेन्द्र मिश्रा ,अभय मिश्रा, सुखेंद्र सिंह बन्ना सबसे ऊपर हैं। इसके अलावा गुरमीत सिंह मंगू, त्रियुगी नारायण शुक्ला भगत, डॉक्टर मुजीब खान, इंजीनियर राजेंद्र शर्मा , कपिध्वज सिंह ,डॉ विनोद शुक्ला, पद्मेश गौतम ,एस एस तिवारी ,ब्रज भूषण शुक्ला ,जय वीर सिंह सिंगर, विमलेन्द्र तिवारी, मृगेंद्र सिंह, गिरीश सिंह ,प्रदीप सिंह पटना ,रमेश पटेल, रमाशंकर सिंह, रमाशंकर मिश्रा, कॉसलेस द्विवेदी, सिद्धार्थ तिवारी भी ताल ठोकने के लिए मैदान में है। अभी यहां रुकने की जरूरत नहीं है निकाय चुनाव में रीवा से महापौर पद भाजपा के जबड़े से छीनने वाले अजय मिश्रा बाबा भी प्रबल दावेदार के रूप में देखे जा रहे हैं। अब सोचने का काम फिलहाल आपका है क्योंकि जिले की 8 सीट के लिए जितने नाम सुझाए जा रहे हैं वह सीट के अनुपात में 6 गुना है यानी एक सीट पर कम से कम 6 मजबूत दावेदार केवल एक ही पार्टी की ओर से हैं।

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