मछली के बीज का आयात और परिवहन पूर्व से है प्रतिबंधित, जलीय पर्यावरण एवं जन स्वास्थ्य के लिए बेहद ही खतरनाक है यह मछली…
तेज खबर 24 रीवा।
मछली खाने के शौकीनो के साथ साथ मछली पालने और बेचने वालो के लिए सावधान कर देने वाली खबर है। दरअसल मछली की एक ऐसी प्रजाति है जिसे पालना और बेचना दोनों ही अपराध की श्रेणी में आता है। इतना ही नही इस मछली को खाने से कैंसर जैसी कई अन्य गंभीर बीमारियों का शिकार भी हो सकते है। फिलहाल इस मछली के विक्रय पर प्रतिबंध है और इस प्रतिबंध का पालन ना करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
दरअसल जिस प्रजाति की मछली पर प्रतिबंध है वह थाई मांगुर मछली एवं बिगहेड मछलियां है, जिनको पालना एवं बेचना दोनों अपराध की श्रेणी में आते हैं और मांगुर मत्स्य बीज के आयात, परिवहन पर भी पूर्णत: रोक हैं।
रीवा की सहायक संचालक मत्स्योद्योग डॉ. अंजना सिंह ने बताया कि मांगुर मछली मांसाहारी प्रवृत्ति की है यह स्थानीय मछलियों को क्षति पहुंचाती है। जलाशय एवं तालाब के जलीय पर्यावरण एवं जन स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने बताया कि थाई मांगुर मछली सड़ा-गला मांस का भक्षण करती है जिससे आसपास का वातावरण दूषित होता है एवं जल प्रदूषित होता है। थाई मांगुर में हैवी मैटल पाया जाता है जिसके सेवन से मनुष्य में ह्मदय रोग, डायबिटीज, आर्थराइटिस के अलावा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा रहता है।
उन्होंने बताया कि थाई मांगुर मछली का पालन प्राकृतिक जलीय संपदा एवं पर्यावरण के लिए अत्यंत घातक है। थाई मांगुर मछली जेनेटिक रोगों की वाहक मानी जाती है। उन्होंने बताया कि थाई मांगुर मछली का पालन विक्रय आयात, निर्यात को शासन द्वारा पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। इसके विनिष्टिकरण की कार्यवाही के आदेश दिये गये हैं। जिस विक्रेता के पास थाई मांगुर मछली पायी जायेगी। विनिष्टिकरण की कार्यवाही में होने वाले व्यय की राशि की भरपायी संबंधित मत्स्य विक्रेता से वसूली जायेगी।