प्राथमिक जांच प्रतिवेदन पर रीवा डीआईजी नें की नौकरी से बर्खास्त करने की अनुशंसा…
तेज खबर 24 रीवा।
रीवा में गुरुवार को हुये टीआई गोलीकांड मामले में आरोपी एसआई को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। रीवा जोन के उप पुलिस महानिरीक्षक मिथिलेश शुक्ला नें एसआई के खिलाफ 3 पन्नों का सस्पेंशन आदेश जारी किया है जिसमें एसआई के आचरण सहित उनके नौकरी पीरियड में विभागीय जांच का जिक्र किया गया है। जारी आदेश के मुताबिक टीआई को गोली मारने वाले उपनिरीक्षक बीआर सिंह वर्ष 1999 में पुलिस विभाग में उपनिरीक्षक के पद पर पदस्थ हुये थे। अब तक 24 साल से अधिक के सेवाकाल में उपनिरीक्षक को विभिन्न लापरवाहियों के लिये कुल 69 छोटी सजाएं व 5 बड़ी सजाओं से दण्डित किया जा चुका है। खास बात यह है कि इतनी सजाओं के बावजूद उपनिरीक्षक के ना तो आचरण में कोई बदलाव आया आया और ना ही उनकी कार्यप्रणाली में जिसके चलते उन्हें आज तक पदोन्नति तक नहीं मिली और 24 सालों से वह अब तक उपनिरीक्षक के पद पर ही अपनी सेवा देते रहे। फिलहाल गुरुवार को उपनिरीक्षक द्वारा की गई घटना के बाद उन्हें ना सिर्फ गिरफ्तार कर हत्या के प्रयास की धारा 307 का अपराध दर्ज किया गया है बल्कि प्राथमिक जांच प्रतिवेदन के आधार पर डीआईजी रीवा ने सेवा से बर्खास्त करने की अनुशंसा भी कर दी है।
जानिए क्या है मामला…
शहर के सिविल लाइन थाने में गुरुवार की दोपहर थाने के एसआई बीआर सिंह ने थाना प्रभारी निरीक्षक हितेन्द्रनाथ शर्मा को उनकी केबिन में घुसकर गोली मार दी थी। एसआई की बंदूक से निकली गोली टीआई के सीने और कंधे के बीच लगी जिन्हें आनन फानन में अस्पताल ले गाया जहां उपचार के बाद अब टीआई की हालत स्थिर बनी हुई है। इधर घटना के बाद से थाने के ही कमरे में बंद किए गए एसआई को 5 घंटे बाद पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया जिनके खिलाफ हत्या के प्रयास का अपराध दर्ज किया गया है।
पुलिस हिरासत में एसआई, डीआईजी नें किया सेवा से बर्खास्त
टीआई गोलीकांड के आरोपी एसआई बीआर सिंह को घटना के तकरीबन 5 घंटे बाद पुलिस ने अपनी कस्टडी में ले लिया है। आरोपी एसआई के कब्जे से दो पिस्टलें व 20 जिंदा कारतूस भी बरामद किये गए। जप्त पिस्टलों में एक सर्विस रिवाल्वर थी जबकि दूसरी उनकी अपनी खुद की लाइसेंसी पिस्टल थी। मामले में एक ओर जहां एसआई के खिलाफ हत्या के प्रयास की धारा 307 का अपराध दर्ज कर लिया गया है तो वहीं रीवा जोन डीआईजी नें एसआई को सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
लाइन अटैच होने से नाराज था एसआई
सिविल लाइन थाने में पदस्थ एसआई लाइन अटैच हो जाने की वजह से नाराज था। पुलिस अधीक्षक नें एसआई द्वारा विभागीय कार्य में बरती जाने वाली लापरवाहियों के चलते लाइन अटैच कर दिया जिसका जिम्मेदार एसआई टीआई को मान रहे थे और इसी बात को लेकर घटना के पूर्व दोनों के बीच बहस भी हुई जिस दौरान दौरान एसआई नें टीआई पर पिस्टल से फायर कर दिया। बताया गया कि आरोपी एसआई बीआर सिंह को चार दिन पूर्व पुलिस अधीक्षक द्वारा लाइन अटैच कर दिया गया था। गुरुवार को एसआई अपने पास रखी केस डायरियों को सौंपने थाने पहुंचा और जब वह टीआई की केबिन में दाखिल हुआ तो वह पहले से ही फाइल के बीच में लोडेड पिस्टल रखे था। टीआई के केबिन में पहुंचने के बाद एसआई ने वहां मौजूद लोगों से बाहर जाने को कहा और सीधे टीआई से सवाल कर बैठा कि उसे लाइन अटैच क्यों कराया गया है। एसआई को टीआई ने जवाब दिया कि लाइन अटैच के पीछे की वजह पुलिस अधिकारी ही बता सकते है। बस इसी बात को लेकर एसआई टीआई पर बरस पड़ा और पहले से लोड कर लाई गई पिस्टल से गोली चला दी जो टीआई के कंधे और सीने के बीच में जा धंसी।
5 घंटे तक एसआई ने फैलाकर रखी दहशत
थाने के भीतर हुये गोलीकांड के बाद थाना सहित पुलिस कंट्रोल रुम परिसर में तकरीबन 5 घंटे तक दहशत का माहौल रहा। टीआई को गोली मारने के बाद थाने के ही कमरे में बंद एसआई ने यह बात बोलकर दहशत फैला दी कि उसके पास दो पिस्टल व 80 राउण्ड कारतूस है और वह सिर्फ आईजी से बात करेंगे। एसआई की इस बात को सुनकर थाने के आसपास जाने में भी पुलिसकर्मी कतराते रहे और घंटो तक उनसे किसी नें भी बात करने का प्रयास नहीं किया। हांलाकि बाद में एएसपी अनिल सोनकर सहित त्योथर एसडीओपी समरजीत सिंह परिहार व तत्कालीन निरीक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने आरोपी एसआई से बातचीत की और उनके आक्रोश को शांत कराते पुलिस कस्टडी में ले लिया गया।
देर रात टीआई के शरीर में धंसी बुलेट निकाली गई बाहर
एसआई द्वारा मारी गई गोली टीआई के काॅलर बोन के नीचे लंग्स में धंसी हुई थी। टीआई के शरीर से अत्यधिक रक्तस्त्राव होने जाने की वजह से उनकी कंडीशन क्रिटिकल थी ऐसे में टीआई के बेहतर उपचार सहित शरीर में धंसी गोली को निकालने के लिये भोपाल व जबलपुर से विशेषज्ञ डाॅक्टरों की टीम रीवा बुलाई गई जिन्होंने देर रात आपरेशन कर टीआई के शरीर में धंसी बुलेट को बाहर निकाला और लगातार हो रहे रक्तस्त्राव को भी रोका गया। चिकित्सकों की मांने तो अब टीआई खतरे से बाहर है और उनकी हालत में धीरे धीरे सुधार हो रहा है।