तेज खबर 24 झाबुआ।
मध्य प्रदेश के झाबुआ में 13 वर्ष पुराने बहुचर्चित प्रिंटिंग घोटाला मामले में शनिवार को विशेष न्यायाधीश की अदालत में झाबुआ के तत्कालीन कलेक्टर जगदीश शर्मा, तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ जगमोहन धुर्वे, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तत्कालीन परियोजना अधिकारी नाथू सिंह तंवर, जिला पंचायत में स्वच्छता मिशन के तत्कालीन जिला समन्वयकर्ता अमित दुबे, जिला पंचायत के तत्कालीन वरिष्ट लेखा अधिकारी सदाशिव डाबर और राष्ट्रीय ग्रामीण योजना गारंटी योजना के तत्कालीन लेखाधिकारी आशीष कदम को दोषी करार देते हुए अलग-अलग धाराओं में चार-चार साल की सजा सुनाई है। इन पर न्यायालय ने 9-9 हजार का अर्थ दंड भी लगाया है। बताया गया कि अफसरों ने भोपाल के जिस प्रिंटिंग कारोबारी मुकेश शर्मा को आर्थिक लाभ पहुंचाया था उसे भी 7 साल की सजा सुनाने के साथ ही 19 हजार के जुर्माने से दंडित किया गया है। तो वही मामले में दो आरोपियों को न्यायालय ने बरी कर दिया है।
मनरेगा और स्वच्छता अभियान के पोस्टर की प्रिंटिंग में हुआ था घोटाला
बताया जा रहा है कि यह मामला वर्ष 2010 का है, जब कलेक्टर जगदीश शर्मा झाबुआ के कलेक्टर थे, उन दिनों मनरेगा के तहत स्वच्छता अभियान के पोस्टर सहित अन्य सामग्रियों की छपाई कराई गई थी। उक्त छपाई का काम प्रशासन की ओर से शासकीय प्रेस की जगह राजधानी भोपाल की एक फर्म राहुल प्रिंटर से कराया गया था। बताया गया कि जिस छपाई में 5 से 6 लाख रुपए का खर्च था उसमें 33 लाख 54 हजार का भुगतान किया गया और इस तरह से 27 लाख 70 हजार का अधिक भुगतान कर शासन को राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया।
इंदौर लोकायुक्त से की गई थी शिकायत…
उपरोक्त मामले की शिकायत मेघनगर के प्रिंटर प्रेस के संचालक राजेश सोलंकी ने इंदौर लोकायुक्त पुलिस से की थी। फरियादी राजेश सोलंकी ने पहले आरटीआई के तहत पूरी जानकारी जुटाई फिर उसे जानकारी के आधार पर मामले की शिकायत की। शिकायत में बताया गया कि अगस्त से नवंबर 2008 के बीच जो शासकीय छपाई का काम हुआ उसके एवज में भोपाल के प्रिंटर्स को 33 लाख 54 हजार का भुगतान किया गया जबकि वह काम महज 5 लाख 83 हजार रुपए में हो सकता था।