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“राजेन्द्र शुक्ल” का छात्र नेता से लेकर “डिप्टी सीएम” बनने तक का सफर…

तेज खबर 24 रीवा।
रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ल को मध्यप्रदेश का डिप्टी सीएम घोषित किया गया है। पेशे से इंजीनियर राजेंद्र शुक्ला ने राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन से की थी। 1986 में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज रीवा में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। फिर कांग्रेस में आए और युवा इकाई में वह पदाधिकारी रहे। भाजपा में आने के बाद पहला चुनाव 1998 में उन्होंने रीवा सीट पर ही रीवा रियासत के महाराज पुष्पराज सिंह के सामने लड़ा। पहले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2003 में पुष्पराज सिंह को बड़े वोटों के अंतर से हरा दिया। तब से लगातार वह भाजपा की टिकट पर कांग्रेस को हराते रहे हैं। खास बात यह भी रही कि जीतने के साथ ही हर चुनाव में 50 प्रतिशत से अधिक वोट भी मिले।

हर बार मिली मंत्रिमंडल में जगह…

मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में उमाभारती, बाबूलाल गौर एवं शिवराज सिंह चौहान के साथ राजेंद्र शुक्ल मंत्रिमंडल में शामिल रहे। इस चुनाव में जीतकर लगातार एक ही सीट से पांच बार जीत दर्ज करने का जिले में नया रिकार्ड भी बनाया है।

मुख्यमंत्री की रेस में भी था नाम…

नए मुख्यमंत्री के चयन में पहली पंक्ति के नेताओं के बाद दूसरी पंक्ति में राजेंद्र शुक्ला प्रबल दावेदार थे। हालांकि प्रदेश में ओबीसी नेतृत्व की तलाश थी, जिसकी वजह से उनका नाम पिछड़ गया और उप मुख्यमंत्री के लिए नाम तय हुआ।

केन्द्रीय नेतृत्व की पसंद होने का मिला फायदा…

पिछले चुनाव की तरह इस बार भी विंध्य में भाजपा को मिली प्रचंड जीत का इनाम लगातार पांचवीं बार जीते राजेंद्र शुक्ल को मिला। राजेन्द्र शुक्ल को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की एक वजह ब्राह्मण वर्ग को साधने की भी है। विंध्य में सबसे अधिक ब्राह्मणों का समर्थन भाजपा को मिला है, इस वजह से यहां उप मुख्यमंत्री भाजपा ने दिया है। पिछले चुनाव में कांग्रेस की सरकार गिरी तब समीकरण ऐसे बने कि राजेन्द्र शुक्ला को मंत्री पद नहीं मिला। हालांकि चुनाव से दो महीने पहले ही मंत्रिमंडल में उन्हें जगह दी गई। शिवराज सिंह का करीबी होने के साथ ही केन्द्रीय नेतृत्व की भी पसंद रहने का फायदा मिला है।

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