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एनकाउंटर में ढेर हुआ कुख्यात गैंगस्टर विनोद उपाध्याय : 1 लाख का था ईनाम, दर्ज थे 35 अपराध, 7 महीने से थी तलाश

एक थप्पड़ के बदले मर्डर कर चर्चाओं में आया था विनोद का नाम, विधानसभा का लड़ चुका था चुनाव
तेज खबर 24 उत्तरप्रदेश।
उत्तरप्रदेश पुलिस की लिस्ट में शामिल एक और मोस्ट वांटेड कुख्यात गैंगस्टर का नाम अब हमेशा-हमेशा के लिये मिट गया है। यूपी एसटीएफ ने षु शुक्रवार की तडके हुई मेठभेड में गैंगस्टर को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। एनकाउंटर की यह कार्यवाही सुल्तानपुर जिले में सुबह तकरीबन 3.30 बजे हुई, जिसमें गैंगस्टर नें पहले पुलिस पर फायरिंग की और जब पुलिस नें जवाबी फायरिंग की तो वह ढेर हो गया।

दरअसल एनकाउंटर में मारा गया गैंगस्टर कोई और नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में रहने वाला विनोद उपाध्याय है। विनोद पर हत्या के संगीन अपराध जैसे कुल 35 अपराध थे जिस पर गोरखपुर पुलिस नें 1 लाख का ईनाम घोषित कर रखा था और बीते 7 महीने से उसकी तलाश बड़ी सरगर्मी से चल रही थी।

जानकारी के मुताबिक यूपी एसटीएफ को विनोद उपाध्याय की लोकेशन सुल्तानपुर की मिली थी। शुक्रवार की अलसुबह तकरीबन 3.30 बजे यूपी एसटीएफ सुल्तानपुर पहुंची और विनोद को घेर लिया जिस दौरान पुलिस की घेराबंदी तोड़कर विनोद नें भागने की कोशिश करते हुये फायरिंग शुरू कर दी और जब पुलिस नें जवाबी फायरिंग की तो विनोद पुलिस की गोली का शिकार हो गया। हालांकि एसटीएफ द्वारा विनोद को घायल हालत में अस्पताल ले जाया गया जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

बताया गया कि यह पूरी कार्यवाही एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक कुमार सिंह के नेतृत्व में की गई है। एसटीएफ को मुठभेड़ में विनोद के पास से 30 बोर की चाईनीज पिस्टल, 9 एमएम की फैक्ट्री मेड स्टेन गन व जिंदा कारतूस सहित एक स्विफ्ट कार मिली है।

खबरों के मुताबिक विनोद पर पहला केस 1999 में दर्ज हुआ था। विनोद का नाम पहली बार एक थप्पड़ के बदले मर्डर करने से चर्चा में आया था। विनोद को 2004 में गोरखपुर जेल में बंद एक अपराधी नें किसी बात पर एक थप्पड़ मार दिया था, इसके बाद जब वह अपराधी जेल से बाहर आया तो 1 साल बाद विनोद नें उसे गोली मार दी थी जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। यूपी पुलिस के मुताबिक विनोद पर कुल 35 अपराध दर्ज थे और उस पर 1 लाख का ईनाम भी घोषित था।

इधर विनोद नें अपराध की दुनिया के साथ राजनीत के क्षेत्र में भी अपना भाग्य आजमाया था। विनोद 2007 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। विनोद विधानसभा चुनाव के दौरान गोरखपुर की सदर सीट से बसपा प्रत्याषी के रूप में चुनाव लड़ा और उसका प्रचार खुद बसपा सुप्रीमों मायावती नें गोरखपुर आकर किया था। हालांकि विनोद नें कुछ ही समय बाद राजनीत से दूरियां बना ली और अपना एक संगठित गिरोह बनाकर अपराध के दलदल में समा गया। बाद में जब यूपी में योगी सरकार बनी तो विनोद का नाम टाॅप टेन अपराधियों की लिस्ट में आ गया और आज हुये एनकाउंटर के बाद विनोद का अंत हो गया।

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