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रीवा में आयुर्वेद कॉलेज के छात्रों ने जलाई डिग्री : 10 दिन से धरने बैठे छात्र बोले अब डिग्री उनके काम की नहीं…

5 सूत्रीय मांगों को लेकर आयुर्वेद कॉलेज के छात्र कर रहे आंदोलन प्रदर्शन…
तेज खबर 24 रीवा।


रीवा में अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर 10 दिनों से आंदोलन प्रदर्शन कर रहे आयुर्वेद कॉलेज के छात्रों ने आज अपनी डिग्रियों को जलाकर विरोध प्रदर्शन किया है। छात्रों का कहना है कि वह पूर्व में ही अपनी मांगों को लेकर अंदोलन प्रदर्शन कर चुके है लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिलता।
आयुर्वेद कॉलेज के छात्रों ने इस बार अपनी मांगों को मंनवाने का पूरा मन बना लिया है और वह अनिश्चिकालीन हड़ताल में जाकर अांदोलन प्रदर्शन कर रहे है। कॉलेज के मुख्य गेट में धरने पर बैठे छात्रों ने आज अपनी डिग्रियों को जलाकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिये विरोध प्रदर्शन किया है। आंदोलनरत् छात्रों का कहना है कि उन्हें जब उनकी डिग्री के अनूरुप वेतन नहीं मिलता तो वह इस डिग्री का क्या करेंगे और इसका क्या काम।

10 दिन से जारी है धरना प्रदर्शन
रीवा के निपनिया स्थित आयुर्वेद कॉलेज के छात्र विगत 10 दिनों से अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन प्रदर्शन कर रहे है। छात्रों द्वारा पूर्व में रैली निकालकर संभागायुक्त को ज्ञापन पत्र भी सौंपा था लेकिन शासन और प्रशासन ने अब तक इन छात्रों की कोई सुध नहीं ली है। छात्रों का कहना है कि उन पर प्रशासन व कॉलेज प्राचार्य अांदोलन खत्म करने का दबाव बना रहे है लेकिन जब तक उनकी मांगों पर अमल नहीं किया जाता तब तक वह धरने पर बैठे रहेंगे।

जानिए क्या है इनकी मांगे
अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे छात्रों की पांच प्रमुख मांगे है जिनमें आयुर्वेद इंटर्न, गृहचिकित्सक एवं स्नोतकोत्तर छात्रां की शिष्यावृत्ति मानदेय एलोपैथी के इंटर्न, जूनियर रेसिडेंट एवं स्नातकोत्तर छात्रां के समतुल्य कर वार्षिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ा जाए।
मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर से आयुष शाखा को पृथक कर भोपाल स्थानान्रित किया जावे एवं निकट भविष्य में पृथक रुप से आयुष विश्वविद्यालय का निर्माण किया जाए।
लोक सेवा आयोग द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी की भर्ती प्रतिवर्ष निकाली जाए एवं इस वर्ष आयोजित की जाने वाली परीक्षा से संविदा कर्मियों को दिया जाने वाला 15 प्रतिशत अंक को हटाया जाए।
जनसंकल्प 2013 में घोषित 1000 आयुष औषधालयों को शीघ्र ही खोला जाए।
आयुर्वेद छात्रों को भी सशर्त आत्यायिक चिकित्सा का अधिकार मिले।

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