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विश्व क्षय दिवस : दुनियाभर में हर रोज क्षय रोग (टी.बी.) से 4 हजार लोगों की होती है मौत भारत में 1 हजार

जानिए क्या है क्षय (टी.बी.) रोग और क्या है इसके लक्षण, क्यों मनाया जाता है क्षय दिवस
तेज खबर 24 देश दुनिया।


क्षय (टी.बी.) रोग बहुत पुरानी बीमारी है, जिससे लाखों लोगों की असमय मृत्यु हुयी है। मध्यप्रदेश के रीवा जिला क्षय अधिकारी डॉक्टर अनुराग शर्मा ने बताया कि पूरे विश्व में 04 हजार व्यक्ति (टी.बी.) से रोज मरते है। भारत में क्षय रोग से प्रति दिन 1000 से ज्यादा मौते होती है। क्षय रोग के कारण देश में लाखों बच्चे अनाथ हो जाते है एवं इतनी ही महिलाओं को तिरस्कृत कर दिया जाता है। पूरी दुनिया के 27 प्रतिशत क्षय रोगी भारत में निवास करते है। 24 मार्च 1882 को जर्मन वैज्ञानिक राबर्ट काक ने खोज किया कि एक माइक्रो बैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के बैक्टीरिया से क्षय रोग होता है। तब से 24 मार्च को पूरी दुनिया में विश्व क्षय दिवस मनाया जाता है।

क्षय रोग के लक्षण
मुख्य रूप से यह बीमारी 90 प्रतिशतद फेफड़ो में होती है, लेकिन शरीर के अन्य अंगो जैसे मस्तिष्क, पेट, दिल, हड्डियों, जननांगों, आदि अंगों में भी होती है। क्षय संक्रमित व्यक्ति के खांसने व छीकने से करोड़ो बैक्टीरिया हवा में आ जाते हैं एवं अन्य संपर्क में रहने वाले ब्यक्ति को यह बीमारी लग जाती है। क्षय रोग के प्रमुख लक्षण हैं दो सप्ताह या अधिक समय से खांसी आना, हल्का बुखार आना, रात में पसीना चलना, भूख न लगना, बजन कम होना एवं खॉसी में खून आना।

2025 तक भारत को क्षय रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य
24 मार्च 2006 से पुनरीक्षित क्षय नियंत्रण कार्यक्रम प्रारंभ होने के बाद बीमारी की जॉच एवं इलाज में डाट्स प्रणाली प्रारंभ की गयी है जो क्षय रोगियों हेतु बरदान साबित हो रहा है। गुणवत्ता पूर्ण निःशुल्क बलगम जॉच एवं उच्च गुणवक्ता की औषधियों की उपलब्धता दूरस्थ स्वास्थ्य केन्द्रों तक बनी है। वजन के अनुसार क्षय रोगियों को प्रतिदिन 2 से 5 गोलियॉ ट्रीटमेंट सपोर्टर के समक्ष लेना पड़ता है। भारत शासन ने 2025 तक देश को क्षय मुक्त बनानें का लक्ष्य रखा है। विगत वर्ष से समस्त क्षय रोगियों को पोषण आहार हेतु 500 रूपये प्रति माह सीधे उनके खाते में जमा कराया जाता है। अब तक एक करोड़ रूपये से ज्यादा राशि क्षय रोगियों के खाते में भेजी जा चुकी है। नर्सिंग होम एवं निजी चिकित्सकों की सहभागिता हेतु (टी.बी.) नोटीफिकेशन अनिवार्य किया गया है। इस हेतु उन्हे 500 रूपये प्रति रोगी दिये जाते है। इसी प्रकार दवा विक्रेताओं को भी एच 1 शेड्यूल की क्षय औषधियों की जानकारी प्रति माह देना अनिवार्य किया गया है। संबंधित द्वारा नियमों का पालन न करने पर धारा 269 एवं 270 के अन्तर्गत दण्डात्मक कार्यवाही करने के निर्देश शासन द्वारा प्रदान किये गये है।

रीवा में क्षय रोगियों की स्थिति
रीवा जिले में वर्षवार (टी.बी.) रोगियों की जॉच आकड़ा के अनुसार वर्ष 2021 में 12897 क्षय रोगियों की जांच की गई इसमें से 1301 स्पुटम पॉजिटिव रोगी पाये गये। 4287 रोगियों का इलाज चल रहा है। मधुमेह रोगियों की बढ़ती संख्या चिन्ता का विषय है। इन रोगियों में भी क्षय रोगियों की संख्या अन्य की तुलना में ज्यादा होती है। वर्तमान में सभी (टी.बी.) रोगियों में डायबिटीज का परीक्षण किया जाता है। सभी डायबिटीज के रोगियों में भी (टी.बी.) की जॉच अवश्य कराना चाहिये। इसी प्रकार सभी क्षय रोगियों में HIV परीक्षण अनिवार्य है। क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में सबसे बड़ी समस्या है . M.D.R. T.B. । इन रोगियों में डाट्स की सामान्य औषधियॉ लाभकारी नही होती । इन्हे जटिल दवाइयां दी जाती है। इन्हे लाखों रूपये की औषधियॉ दी जाती है एवं इलाज की अवधि भी ज्यादा होती है। वर्ष 2021 में 84 M.D.Rके रोगी मिले है। (टी.बी.) HIV सह संक्रमित 2021 में मरीजों की संख्या कुल 20 है। ऐसे रोगियों की जॉच हेतु दो सीण्बीण्नाट मशीन संजय गॉधी अस्पताल में एवं कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल बिछिया में लगायी गयी है। इन रोगियों में मौत की संभावना भी ज्यादा होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने थीम दिया है (टी.बी.) को खत्म करने में सहयोग दें, लोगों की जॉन बचाए भारत को क्षय मुक्त बनाने में अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान करें।

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