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रीवा न्यूज : खेतों में कटी फसल के शेष (नरवाई) जलाने पर ढाई हजार से 15 हजार तक का भरना होगा जुर्माना…

कटी फसलों के शेष खेतों को बनाते हैं उपजाऊ, आग लगाकर खेतों ना करें तबाह…
तेज खबर 24 रीवा।


खेत में फसल कटने के बाद शेष बचे भाग (नरवाई) से मिट्टी को उपजाऊ बनाया जा सकता है। उप संचालक कृषि यूपी बागरी ने किसानों से खेतों में नरवाई न जलाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि नरवाई जलाने से पर्यावरण को हानि होती है।
मध्यप्रदेश शासन के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 2017 में जारी नोटिफिकेशन के अनुसार दो एकड़ से कम क्षेत्र में नरवाई जलाने पर दो हजार पांच सौ रुपए का जुर्माना लगेगा। इसी तरह दो से पांच एकड़ तक भूमि पर नरवाई जलाने पर पांच हजार रुपए एवं पांच एकड़ से अधिक भूमि पर नरवाई जलाने पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
नरवई जलाने के नुकसान…
उप संचालक ने कहा है कि नरवाई जलाने से एक ओर जहां खेतों में अग्नि दुर्घटना की संभावना रहती है वहीं मिट्टी की उर्वरता पर भी विपरीत असर पाता है। इसके साथ ही धुएँ से कार्बन डायआक्साइड से तापमान बढ़ता है और वायु प्रदूषण भी होता है। मिट्टी की उर्वरा क्षमता लगभग 6 इंच की ऊपरी सतह पर ही होती है। इसमें खेती के लिए लाभदायक मित्र जीवाणु उपस्थित रहते हैं। नरवाई जलाने से यह नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति को नुकसान होता है।
नरवई के फायदे…
नरवाई जलाने की बजाए यदि फसल अवशेषों को एकत्रित करके जैविक खाद बनाने में उपयोग करें तो यह बहुत लाभदायक होगा। नाडेप तथा वर्मी विधि से नरवाई से जैविक खाद आसानी से बनाई जा सकती है। इस खाद में फसलों के लिए पर्याप्त पोषक तत्व रहते हैं। इसके आलावा खेत में रोटावेटर अथवा डिस्क हैरो चलाकर भी फसल के बचे हुए भाग को मिट्टी में मिला देने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है। किसान हलधर योजना के तहत फसल कटने के बाद अपने खेतों की गर्मी में गहरी जुतार्ई करा सकते हैं। किसान सामान्य हार्वेस्टर से गेंहू कटवाने के स्थान पर स्ट्रारीपर से गेंहू कटवायें। इससे पशुओं के लिए भूसा प्राप्त होगा साथ ही खेतों में नरवाई की समस्या नहीं रहेगी।

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