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रीवा के अरुण का मधुमख्खियों से लगाव : मधुमख्खी पालन के व्यवसाय ने अरुण के जीवन में घोली सफलता की मिठास

शासन की स्वरोजगार योजना का लाभ लेकर सफलतापूर्वक मधुमख्खी पालन कर रहे अरुण
तेज खबर 24 रीवा।


कहते हैं मधुमक्खी हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण भाग हैं। फूलों के परागण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मानव ने दुनिया में जिस मीठे पदार्थ का सबसे पहले स्वाद लिया वह मधुमक्खियों द्वारा शहद ही था। स्वास्थ्यवर्धक पदार्थों तथा दवाओं के रूप में शहद की अत्यधिक मांग ने इसके व्यावसायिक उत्पादन को बढ़ावा दिया है।
रीवा जिले के सिरमौर तहसील के ग्राम पिपरी निवासी अरूण प्रसाद द्विवेदी ने मधुमक्खी पालन का व्यवसाय अपनाकर अपना जीवन बदल डाला है। अरूण स्वरोजगार योजनाओं का लाभ लेकर सफलतापूर्वक मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। उन्होंने विन्ध्या बी केयर हनी उद्योग के नाम से अपना उद्यम स्थापित किया है। इसके माध्यम से अच्छी गुणवत्ता की शहद का लगातार उत्पादन हो रहा है। कभी नौकरी के लिए दर.दर भटकने वाले अरूण स्वरोजगार अपनाकर न केवल आत्मनिर्भर हुए हैं बल्कि कई अन्य लोगों को रोजगार का अवसर दे रहे हैं। उनकी वार्षिक आमदनी लगभग 10 लाख रुपए की है। मधुमक्खी पालन ने अरूण के जीवन में सफलता की मिठास घोल दी है।

कृषि विज्ञान केंन्द्र तथा उद्यानिकी विभाग से लिया मधुमख्खी पालन का प्रशिक्षण

अरूण ने कृषि विज्ञान केन्द्र तथा उद्यानिकी विभाग से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने आधुनिक वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन शुरू किया। अपने उद्यम को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने शहद के प्रसंस्करण की इकाई की स्थापना की। इसके लिए उद्यानिकी विभाग एवं खाद्य प्रसंस्करण योजना से उन्हें प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना से सहायता मिली।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया तेंदुन बैकुण्ठपुर शाखा से अरूण को अपना उद्यम स्थापित करने के लिए 15 लाख 81 हजार एक सौ रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया। इकाई स्थापना के लिए उन्होंने एक लाख 75 हजार 600 रुपए का स्वयं निवेश किया। स्वरोजगार योजना से अरूण को 6 लाख 14 हजार 845 रुपए की अनुदान राशि का लाभ मिला। उन्होंने 17 लाख 56 हजार 700 रुपए की लागत से आधुनिक मशीनें स्थापित करके शहर प्रसंस्करण उद्यम की स्थापना की। इससे प्राप्त गुणवत्तापूर्ण शहद की बिक्री से अरूण को अच्छा लाभ प्राप्त हो रहा है।

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