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रीवा संभाग के 15 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण के दायरे में : जानिए कैसे मिटाया जा सकता है कुपोषण का कलंक

संभागायुक्त की अपील, एडॉप्ट इन आंगनबाड़ी कार्यक्रम से बदल सकती है तस्वीर…
तेज खबर 24 रीवा।

बच्चों के पोषण स्तर में सुधार तथा कुपोषण का कलंक मिटाने के लिये समन्वित प्रयासों की आवश्कता है। वर्तमान में रीवा संभाग में लगभग 15 हजार बच्चों का पोषण स्तर कर है। इन बच्चों को अतिरिक्त भोजन तथा पोषण किट के रूप में मोटे अनाजए दाल, गुड़, चना, मोमफली, तिल आदि दिया जा सकता है। बच्चों की स्वच्छता पर भी ध्यान देना आवश्यक है।

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित एडॉप्ट एन आंगनवाड़ी कार्यक्रम के तहत आंगनवाड़ी केन्द्रों को कई तरह का सहयोग प्राप्त हो रहा है। इस योजना का लाभ लेकर मध्यम कुपोषित तथा अति कुपोषित बच्चों के पोषण प्रबंधन का विशेष प्रयास करें।
रीवा संभाग के कमिश्नर अनिल सुचारी ने सभी कलेक्टरों को शिशुओं के पोषण स्तर में सुधार के निर्देश दिए हैं। कमिश्नर ने कहा है कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषित तथा अति कुपोषित बच्चों की सूची तैयार की गई है। इन सभी बच्चों को मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम के तहत उपचार एवं अतिरिक्त पोषण आहार की सुविधा देकर इनके पोषण स्तर में सुधार कराएं। शिशुओं के जीवनकाल के प्रथम एक हजार दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में शिशुओं में सबसे तेजी से शारीरिक विकास होता है। इस अवधि में यदि पोषण का स्तर ठीक नहीं हुआ तथा बच्चों के खान.पान की उचित देखभाल नहीं की गई तो उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ता है।


कमिश्नर ने कहा कि बच्चों के पोषण स्तर में सुधार तथा कुपोषण का कलंक मिटाने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित एडॉप्ट एन आंगनवाड़ी कार्यक्रम के तहत आंगनवाड़ी केन्द्रों को कई तरह का सहयोग प्राप्त हो रहा है। इस योजना का लाभ लेकर मध्यम कुपोषित तथा अति कुपोषित बच्चों के पोषण प्रबंधन का विशेष प्रयास करें।


कमिश्नर ने कहा कि जिन शिशुओं का पोषण स्तर कम है उनकी माताओं को महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पोषण प्रबंधन की काउंसलिंग करें। कम पोषित बच्चों का नियमित रूप से वजन लेकर उनके स्वास्थ्य में सुधार की नियमित निगरानी करें। बच्चों के पोषण स्तर में वृद्धि के लिए जन सहयोग भी लिया जा सकता है।

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