Site iconSite icon Tezkhabar24.com

नवरात्रि पर माता की अनोखी भक्ती : REWA में शरीर पर जवारे उगाकर भक्ती में लीन हुआ भक्त, फल फूल व अन्य जल भी त्यागे…

देश में खुशहाली व अमन चैन के लिये माता के भक्त ने अपनाया देवी मां की भक्ती का अनोखा तरीका
तेज खबर 24 रीवा।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि देवी देवाताओं की भक्ति के पीछे अपार शक्ति छिपी होती है जिसका नतीजा है कि भक्त भगवान की भक्ति में कठिन से कठिन तपस्या को भी बड़ी आसानी से पूरी कर लेते है। कुछ ऐसी ही कठिन तपस्या रीवा में देखने को मिली है, जहां नवरात्रि के अवसर पर देवा मां को खुश करने के लिये एक भक्त ने अपने ही शरीर पर जवारे उगा दिए है। इस कठिन तपस्या के पीछे भक्त की मान्यता है कि माता जी की अपार कृपा अपने भक्तों पर बनी रहे और देश में सुख समृद्धि व अमन चैन कायम रहे।


दरअसल नवरात्रि के दिनों में माता की भक्ति का यह अनोखा दृश्य रीवा शहर में ही प्रसिद्ध चिरहुला मंदिर के समीप ललपा में स्थित काली माता की मंदिर में देखने को मिला है। जानकारी के मुताबिक शहर के वार्ड क्रमांक 26 ललपा निवासी विनोद कुमार साहू उम्र 40 वर्ष देवी मां के भक्त है। विनोद के पुत्र संदीप साहू ने बताया कि उनके पिता विनोद साहू अपनी भक्ती से माता जी को खुश करने के लिये नवरात्रि के पहले दिन मंदिर के अंदर बैठकर अपने शरीर पर जवारा बोया है जिसके उगने के बाद पंचमी के दिन देर शाम मंदिर का पट खोला गया है जिसके बाद से भक्त को देखने के लिये लोगों तांता लगा हुआ है।


शारीरिक आवश्यकताओं को त्यागा भक्त
माता की भक्ती में लीन विनोद साहू के पुत्र संदीप ने बताया कि उनके पिता माता जी के भक्त है जिन्होंने शारीरिक आवश्यकताओं को त्यागकर शरीर पर जवारे बोए है और अन्न जल का त्याग किये है और गला सूखने पर सिर्फ दो से तीन चम्मच ही जल का सेवन करते है।


भक्त को देखने उमड़ रही भीड़
बताया गया कि पंचमी को मंदिर का पट खुलने के बाद शरीर पर जवारे उगाने वाले भक्त को देखने के लिये लोगों की भीड़ उमड़ रही है और मंदिर परिसर में भजन, कीर्तन व आरती का दौर जारी है। नवरात्रि के नौ दिनों तक चलने वाली इस कठिन तपस्या को पूरी करने के बाद नौंवी के दिन मैहर मंदिर में देवी मां को भक्त द्वारा अपने शरीर पर बोए हुये जवारे को चढ़ाया जाएगा। फिलहाल भक्त के इस भक्ती की चर्चा इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है और दर्शन करने वालों की भीड़ भी उमड़ रही है।

Exit mobile version