चिंहित दुकानों में ही उपलब्ध होती है प्राइवेट स्कूलों की किताबे और यूनीफार्म
तेज खबर 24 रीवा।
प्राइवेट स्कूलों के द्वारा किताबों और यूनिफार्म में कमीशनबाजी का बड़ा खेल खेला जा रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो शिक्षण का नया सत्र शुरु होते ही प्राइवेट स्कूल संचालक कमीशनबाजी के खेल से अभिभावकों की जेब में डांका डालने का काम कर रहे है। स्कूल संचालक अभिभावकों को सिर्फ उन्हीं दुकानों में किताबें व यूनीफार्म खरीदने का दबाव बनाते है जहां से उन्हें अच्छा खासा कमीशन मिलता है।
रीवा में चल रहे कमीशनबाजी के एक ऐसे ही खेल का भंडाफोड़ उस वक्त हुआ जब अभिभावकों ने मूल्य से दोगुना रेट में किताबे बेंचने की शिकायत जिला कलेक्टर से की। मामले में कलेक्टर ने एक्शन लेते हुये शिकायत की जांच कराई तो सही पाई गई जिसके बाद मूल्य से अधिक दाम में किताब बेंचने वाली दुकान को सील कर दिया गया है।
दरअसल यह कार्यवाही मंगलवार की शाम कलेक्टर के निर्देश पर सिरमौर चैराहा स्थित रमागोविंगद पैलेस में संचालित अग्रसेन बुक डिपो में की गई है। कलेक्टर ने यह कार्यवाही करते हुये अभिभावकों की जेब पर डांका डाल रहे प्राइवेट स्कूल संचालकों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
जानकारी के मुताबिक प्रशासन की टीम ने यह कार्यवाही तकरीबन आधा दर्जन छात्रों के अभिभावकों द्वारा की गई शिकायत पर की है। शिकायत पत्र में अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चे वेदांता पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं जहां से किताब खरीदने के लिए अग्रसेन बुक डिपो के लिए मैसेज किया गया था।
अभिभावक जब वहां किताब खरीदने पहुंचे तो 145 रुपए कीमत वाली किताब प्रिंट रेट में छेड़खानी करके 245 की कीमत में बेची जा रही थी, इसी तरह से कई किताबों के प्रिंट बढ़ाए गए थे जिसकी शिकायत अभिभावकों के द्वारा कलेक्टर से की गई थी। कलेक्टर प्रतिभा पाल के निर्देशन पर एसडीएम अनुराग तिवारी, नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला सहित अमहिया थाना प्रभारी अरविंद सिंह राठौर पुलिस बल के साथ जब दुकान में पहुंचे तो शिकायत सत्य पाई गई। पुलिस व प्रशासन की टीम ने अग्रसेन बुक डिपो को सील कर दिया है और पंचनामा कार्यवाही कर आंगे की कार्यवाही कर रही है।
बता दें कि प्राइवेट विद्यालयों के खुलते ही अभिभावकों के जेब पर सीधे डाका पड़ने लगा है। चिन्हित दुकानों में स्कूलो की किताबों के साथ साथ यूनिफार्म फी ऊंचे दामों पर खुलेआम बेचे जा रहे। किताबों की तरह ही यूनिफार्म में भी जमकर लूट की जा रही है। हद तो यह कि स्कूली जूते भी यूनिफार्म वाली दुकान में ही मनमाना दामों में बेंचे जा रहे है।
अभी तक तो यह देखा जाता था कि चिकित्सकों के द्वारा चिन्हित दुकान से दवाई खरीदने की पर्ची दी जाती थी। लेकिन अब प्राइवेट स्कूल संचालक भी दुकानों से सांठगांठ करके चिन्हित दुकानों से ही किताब खरीदने के लिए अभिभावकों के ऊपर दबाव बनाते हैं। हालांकि आज प्रशासन के द्वारा यह पहली कार्यवाही की गई है, जिसके बाद स्कूलो के नाम पर कमीशनबाजी करने वाले लोगों में हड़कंप मचा हुआ है।