जिला पंचायत CEO ने गंगेव जनपद सीईओ व उपयंत्री सहित अन्य अफसरों से 24 लाख की वसूली का दिया आदेश…
तेज खबर 24 रीवा।
मध्य प्रदेश के रीवा जिले के ग्राम पंचायत में हुए व्यापक भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है।यहां बिना काम कराए ही इंजीनियर्स ने सत्यापन कर दिया और भुगतान भी हो गया जिसकी जांच के दौरान सत्यता सामने आई है और फर्जी तरीके से भुगतान कर राशि का गबन करने वाले पंचायत के अफसरों को अब वह राशि वापस करने का आदेश जारी किया गया है। दरअसल यह मामला रीवा के गंगेव जनपद की चौरी ग्राम पंचायत का है। जिला पंचायत सीईओ ने रिकवरी के आदेश जारी कर संबंधित अफसरों को नोटिस थमाया है और 7 दिन के भीतर उन्हें अपने हिस्से की रकम जमा कराने के आदेश दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक चौरी ग्राम पंचायत में हुए इस फर्जीवाड़े की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा दर्ज कराई गई थी। आरोप था कि ग्राम पंचायत में व्यापक रूप से भ्रष्टाचार हुआ है जहां बिना काम कराए ही इंजीनियर्स नें सत्यापन कर दिया और उसका भुगतान भी हो गया इस मामले पर आरईएस के कार्यपालन यंत्री की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की जिसमें शिकायत के बिंदु सही पाए गए और कहा गया कि कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें कराए बिना ही भुगतान कर दिया गया। जांच रिपोर्ट में जनपद सीईओ, एसडीओ, उपयंत्री, जनपद का सहायक लेखाधिकारी, तत्कालीन सरपंच, सचिव सहित अन्य को दोषी बताया गया है। इन सब से 24 लाख की वसूली प्रस्तावित की गई है। इस पर जिला पंचायत के सीईओ ने आदेश जारी करते हुए सभी को नोटिस दिया है और यह भी स्पष्ट किया गया है कि किस अधिकारी के हिस्से में अनियमितता की कितनी राशि आई है। सभी को 1 सप्ताह के अंदर उक्त राशि जमा कराए जाने के लिए कहा गया है और निर्देशों का पालन नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी बात कही गई है।
स्टॉप डैम, सड़क, नाली, पानी की टंकी जैसे कार्यों की राशि का हुआ गबन…
बताया गया कि पंचायत में विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए शासन द्वारा दी गई राशि का अफसरों ने मिलकर फर्जी तरीके से भुगतान कर उसका गबन कर लिया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पंचायत में नाला के घाट पर स्टॉप डैम के लिए 8.95 लाख का भुगतान किया गया लेकिन मौके पर कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ। इसी तरह से 5.10 लाख का भुगतान नाली निर्माण के नाम पर हुआ लेकिन इसका भी कोई कार्य नहीं कराया गया इसके अलावा 4.97 लाख की पीसीसी सड़क जिसकी जांच टीम को माप पुस्तिका ही नहीं मिली। वही 1.96 लाख की पुलिया के नाम पर भी भुगतान किया गया जबकि यह निर्माण पूर्व सरपंच के कार्यकाल में ही हो गया था। ऐसे ही 50 50 हजार की पानी की टंकी व सड़क निर्माण के नाम पर फर्जी भुगतान पाया गया है। जांच टीम को इस तरह के कई अन्य कार्यों में भी आंशिक रूप से अनियमितताएं मिली हैं जिसके चलते कुल 23.99 लाख की वसूली प्रस्तावित की गई है।
जानिए किसके हिस्से में अनियमित्ता की कितनी राशि…
जिला पंचायत सीईओ द्वारा जारी आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि किस अधिकारी के हिस्से में अनियमितता की कितनी राशि आई है। उक्त आदेश के मुताबिक जनपद पंचायत सीईओ के हिस्से में 149207 रुपए, सहायक यंत्री के हिस्से में 198436 रुपए, पंचायत के प्रभारी उपयंत्री के हिस्से में 19436 रुपए, सहायक लेखा अधिकारी जनपद के हिस्से में 149207 रुपए, तत्कालीन सचिव बुद्धसेन खोल के हिस्से में 852131 रुपए व तत्कालीन सरपंच सविता जयसवाल के हिस्से में 850131 रुपए की अनियमितता राशि आई है।