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रीवा : रात 1 बजे संजय गांधी अस्पताल की शर्मनाक तस्वीर कैमरे में कैद : बिना कपड़़ों में बैठी रही महिला…
महिला की इज्जत को ढ़़कने की वजाय ठहाके लगाता रहा अस्पताल प्रबंधन, एक चादर तक नहीं हुई नसीब…
तेज खबर 24 रीवा।
कहते है इंसान को दुनिया में मरने के बाद भी कफन नसीब होता है और उसे कपड़ों में लपेटकर ले जाया जाता है लेकिन यहां तो जीते जी एक महिला को दो गज का कपड़़ा तक नसीब नही हुआ और वह लोगों के लिये तमाशा बनी रही।
दरअसल कुछ ऐसी ही शर्मशार कर देने वाली तस्वीर विंध्य के सबसे बड़े अस्पतालों में सुमार रीवा के संजय गांधी अस्पताल की है जहां एक महिला बिना कपड़़ो में लोगों के लिये तमाशा बनी हुई थी।
यहां महिला को देखने वाले तो कई थे लेकिन उसके तन को ढकने वाला कोई नहीं था।
यह तस्वीर समाज और मानवता दोनो को शर्मशार करती है जहां जीती जागती एक महिला को तन ढकने के लिये दो गज पकड़़ा तक नसीब नही हुआ और लोग उसे तमाशबीन की तरह देखते रहे।
दरअसल यह तस्वीर अस्पताल के मुख्य द्वारा पर स्थित आइसोलेशन वार्ड के बाहर की है, जहां एक महिला बिना कपड़ो के बैठी रही लेकिन यहां मौजूद सुरक्षा गार्ड से लेकर अस्पताल प्रबंधन महिला की अस्मत को ढ़कने की वजाय उसे देखकर ठहाके लगा रहा था।
यहां रात तकरीबन एक बजे जब तेज खबर 24 की टीम अस्पताल पहुंची तो यह महिला बिना कपड़ों के बैठी थी जो देखने में तो विक्षिप्त समझ आ रही थी लेकिन थी तो एक महिला…।
यहां महिला को तमाशबीन की तरह देखने वाले सुरक्षा गार्डो ने जब मीडिया को देखा तो आनन फानन में अपनी गलतियों को छिपाने महिला के शरीर को चादर से ढकने का प्रयास किया।
दरअसल यह शर्मनाक तस्वीर का मामला रीवा के संजय अस्पताल में कल रात 1 बजे का है जहां अस्पताल के अंदर एक महिला बिना कपड़ों के बैठी रही लेकिन उसे ना तो वार्ड में बेड नसीब हुआ था और ना ही अस्मत ढकने के लिये एक चादर।
हालाकि यह महिला विक्षिप्त बताई जा रही है जिसे खुद का होश नहीं था लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या उसे देखने वाले भी विक्षिप्त थे… या फिर उनकी मानवता मर चुकी थी जो बिना कपड़ों की महिला को तमाशबीन बनकर देख रहे थे।
हद तो तब हो गई जब इस महिला के इर्द गिर्द कुछ ऐसे लोगों को देखा गया जो महिला की ताक पर थे जो सिर्फ उस घड़ी का इंतजार कर रहे थे कि कब महिला उन्हें अकेली मिल जाए लेकिन लोगों की आवाजाही और तेज खबर 24 की टीम की दखल के बाद महिला को सुरक्षित चादर से ढककर उसकी अस्मत को तार तार होने से बचाया गया।
इधर अस्पताल प्रबंधन ने बातचीत के दौरान अपनी इस गलती पर पर्दा डालने का प्रयास किया लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने जिस तरह से अपनी गलती पर पर्दा डाला अगर उसी तरह से उस महिला की आबरु पर पर्दा डालती तो शायद आज समाज और मानवता दोनों को ही शर्मशार नहीं होना पड़ता।