शिक्षाकर्मी भर्ती में नियमविरुद्ध तरीके से अपने करीबियों व रिश्तेदारों को भर्ती का लाभ पहुंचाने का था आरोप
तेज खबर 24 सतना रीवा।
सतना जिले के सोहावल तहसील में शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाला मामले में 16 साल बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुये रीवा के रहने वाले सतना के तत्कालीन सोहावल जनपद सीईओ को 5 साल की कैद व 27 हजार के जुर्माने से अर्थदण्ड से दण्डित किया है। यह फैसला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत सतना ने मंगलवार को हुई सुनवाई के बाद सुनाया है। न्यायालय ने तत्कालीन जनपद सीईओ अनिल कुमार तिवारी निवासी खरहरी थाना सेमरिया जिला रीवा को दोषी पाते हुये भारतीय दण्ड विधान की धारा 120 बी में 2 वर्ष के कारावास और 2 हजार का जुर्माना, धारा 467 में 5 वर्ष की कैद और 10 हजार का जुर्माना व धारा 468 में 3 वर्ष के कारावास और 10 हजार का जुर्माना व धारा 471 में 2 वर्ष की जेल और 5 हजार का जुर्माना लगाया है।
न्यायालय के इस फैसले के संबंध में मीडिया प्रभारी हरि कृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि सतना जिले में शिक्षाकर्मियों की भर्ती में व्यापक अनियमितता और भ्रष्टाचार कर गलत नियुक्तियां किए जाने की शिकायत पर लोकायुक्त ने रिपोर्ट दर्ज की थी। जांच के दौरान अलग.अलग जनपद पंचायतों में शिक्षाकर्मियों की भर्ती में अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के साक्ष्य मिलने पर अलग.अलग जनपद पंचायतों अमरपाटनए सोहावलए रामपुर बाघेलान और मझगवां के मामले में अलग.अलग एफआईआर दर्ज हुई थीं। जनपद पंचायत सोहावल के संबंध में दर्ज अपराध की जांच में पाया गया कि यहां 194 पदों पर विज्ञापन प्रकाशित करने के बाद 14 पद उपसंचालक शिक्षा सतना द्वारा पुनरू जोड़े गए थे । जिसके संबंध में न तो कोई विज्ञापन दिया गया और न ही आरक्षण नियमों का पालन किया गया।
बताया गया कि यहां 1 नियम के विपरीत एक पद के मुकाबले कई अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। सामान्य प्रशासन समिति और स्थाई शिक्षा समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों ने अपने.अपने परिवार जनों और निकटतम रिश्तेदारों को नियम विरूद्ध लाभ पहुचांने के उद्देश्य से उन्हें साक्षात्कार में बुलाया। इतना ही नहीं उन्हें मनमाने ढंग से नंबर दिए गए और इस तरह अयोग्य अभ्यर्थियों को चयनित कर लिया गया। अभ्यर्थी चयन की यह प्रक्रिया मप्र पंचायत शिक्षाकर्मी भर्ती तथा सेवा शर्ते नियम 1997 का उल्लंघन कर अपनाई गई थी।
शिक्षा कर्मियों की भर्ती में हुए इस घोटाले में सोहावल जनपद के तत्कालीन सीईओ अनिल कुमार तिवारीए तत्कालीन बीईओ सूर्यबली त्रिपाठी और अन्य 8 लोगों के विरूद्ध धारा 420ए 120बी, 467, 468, 471 भादवि एवं धारा 13 1 डी, 13 2 का आरोप प्रमाणित पाए जाने पर 28 अक्टूबर 2006 को अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। इस मामले में 16 वर्ष तक चले विचारण के दौरान तत्कालीन बीईओ सूर्यबली त्रिपाठी सहित 3 आरोपियों की मृत्यु हो गई। मामले में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक एवं सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी फखरूददीन ने पैरवी की।