8 वर्ष पूर्व भोपाल वन विहार से व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर लाई गई थी विंध्या
तेज खबर 24 रीवा सतना।
मध्यप्रदेश के रीवा और सतना के बीच स्थित देश और दुनिया में मशहूर व्हाइट टाइगर सफारी की जान और विंध्य प्रदेष की शान रही सफेद शेरनी विंध्या ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया है।
खबर बेहद ही दुखद है जहां महाराजा मार्तण्ड सिंह जू देव व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर की पहली सफेद बाघिन विंध्या ने मंगलवार की आज सुबह जू के अंदर अंतिम सांसे ली है। बताया गया है कि 16 वर्षीय सफेद बाघिन विंध्या बीते कई दिनों से बीमार थी जिसने आज तड़के तकरीबन 3.30 बजे दम तोड़। विंध्य की मौत की खबर से विंध्य वासियों में शोक की लहर दौड़ गई तो वहीं टाइगर सफारी प्रबंधन के साथ जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधि विंध्या के अंतिम दर्शन के लिये टाइगर सफारी पहुंचे जहां बड़े ही शान और सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
बताया गया कि उम्रदराज होने के कारण विंध्या बीमार चल रही थी जिसकी बीमारी को लेकर व्हाइट टाइगर सफारी प्रबंधन चिंता में था क्योंकि जिस उद्देश्य को लेकर करोड़ो खर्च कर व्हाईट टाइगर सफारी खोली गई थी उसमें अब तक यहां का प्रबंधन सफल नही हुआ।
9 साल की उम्र में लाई गई थी विंध्या
गौरतलब है कि सफेद बाघिन विंध्या को 2016 में वन विहार भोपाल से व्हाइट टाइगर सफारी में लाया गया था, तब वह 9 साल की थी। विंध्या को इस उम्मीद से लाया गया था कि यहां के जंगल और वातावरण सफ़ेद बाघों के लिए माकूल है इसलिए सफेद बाघों के पुनर्वास के लिए इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था लेकिन अब तक इसमे सफलता नही मिली और अब तक 2 बाघों की यहां मौत हो चुकी है। इससे पहले 2020 में मुकुंदपुर में स्थित व्हाइट टाइगर सफारी में 7 वर्षीय व्हाइट टाइगर मेल गोपी की मौत हो गई है।
2012 में रखी गई थी टाइगर सफारी की नींव
व्हाइट टाइगर सफारी, चिड़ियाघर और रेस्क्यू सेंटर की आधारशिला 3 फरवरी 2012 को तत्कालीन वन मंत्री और अब पीडब्ल्यूडी मंत्री सरताज सिंह ने रखी थी। क्योंकि दुनिया के पहले सफेद बाघ मोहन को विंध्य क्षेत्र में तत्कालीन रीवा महाराजा मार्तंड सिंह ने शिकार के दौरान वर्ष 1951 में सीधी के जंगलों में देखा था। शावक का नाम मोहन था और तब वह 9 महीने का था। बाद में उन्हें गोविंदगढ़ किले में एक अहाते में रखा गया।
विंध्य के सफेद शेर के वंशज है दुनियाभर के सफेद शेर
कहा जाता है कि पूरी दुनिया में जहां भी सफेद शेर हैं उन्हें मुकुंदपुर के जंगलों से ही भेजा गया है। रीवा की धरती से सफेद शेर मोहन के वंशज दुनिया के कई देशों में भेजे गए। जहां भी सफेद शेर हैं वे कहीं न कहीं मोहन के वंशज ही हैं।