सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पहली बार बीएमव्ही (बैलून मिट्रल बॉल्बोटॉगी) इलाज सफलता पूर्वक सम्पन्न
छात्रा को थी सांस फूलने व जल्दी थकने की तकलीफ, डाक्टरों ने इलाज कर तकलीफ को किया दूर
तेज खबर 24 रीवा
रिपोर्ट अयाज खान अज्जू
रीवा की सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सकों ने पहली बार बीएमव्ही (बैलून मिट्रल बॉल्बोटॉगी) सफलतापूर्वक सम्पन्न कर चिकित्सा के क्षेत्र में नया इतिहास रचा है। रीवा के डॉक्टरों द्वारा यह सफल इलाज पहली बार किया गया है जो विंध्य क्षेत्र के लिये एक नया इतिहास है।
दरअसल यह इलाज कक्षा 11वीं में पढ़ने वाली छात्रा का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर एसके त्रिपाठी व उनकी टीम ने किया है।
जानकारी के मुताबिक कक्षा 11वीं में पढ़ने वाली छात्रा कंचन साकेत कुछ दिनों पहले सांस फूलने और जल्दी थक जाने की शिकायत लेकर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की ओपीडी में आई थी। जिनकी ईसीजी परीक्षण से एक वाल्व के सिकुड़े होने की संभावना लगी। मरीज की तुरंत इको जांच करके यह पुष्टि की गई की वाल्व अपने नार्मल साईज से बहुत ज्यादा सिकुड़ चुका है।
वाल्व सिकुड़ने का पता चलने के बाद मरीज को तुरंत भर्ती कराया गया और बैलून पद्धति से बाल्व को खोलने का प्लान किया गया। मरीज बहुत गरीब और आयुष्मान कार्ड धारक थी। इसलिए आयुष्मान से प्रोसीजर के लिए रजिस्टर करके बैलून अरेंज किया गया। सारा हार्डवेयर अरेंज होने के बाद मरीज को कैथलैव शिफ्ट किया गया जहां इसकी जटिल प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
इस सफलता में डॉ. प्रदीप कुर्मी सहायक प्राध्यपाक एवं डॉ. लल्लन प्रताप सिंह सहायक प्राध्यापक कार्डियोलॉजी विभाग का सहयोग रहा। साथ ही कैथलैब टेक्नीशियन जयनारायण मिश्र, सत्यम, मनीष और सुमन तथा कैथलैब में कार्यरत स्टाफ नर्सों की भी अहम भूमिका रही। बताया गया कि प्रोसिजर के उपरांत ही मरीज का ब्लड प्रेसर 88 से बढ़कर 110 और वाल्व एरिया 0.6 बढकर 1.6 हो गया। मरीज के सांस फूलने और जल्दी थक जाने के जो लक्षण थें वो पूरी तरह से ठीक हो गये।
वर्जन
विध्य क्षेत्र में सिकुड़े हुए वाल्व के कई मरीज हैं जो कि इलाज के अभाव में अपनी जान गवाते है। यह प्रोसिजर स्टार्ट होने से सिकुड़ हुए वाल्व के मरीजों की जान बचाई जा सकेगी और उनकी क्वालिटी ऑफ लाईफ भी इंप्रूव होगी।
अधीक्षक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा डॉ. अक्षय श्रीवास्तव