विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नई शिक्षा नीति के तहत कई नए आनलाइन कोर्स किए प्रारंभ, ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को होगा फायदा
तेज खबर 24 रीवा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नई शिक्षा नीति के तहत कई नए आनलाइन कोर्स प्रारंभ किए हैं। जिनका फायदा ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को होगा। अब घर बैठे तीन महीने से अधिक के कोर्स किए जा सकते हैं। यह व्यवस्था कुछ समय पहले ही बनाई गई थी लेकिन मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग ने अब इस पर जोर दिया है।
विभाग ने विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों और कालेजों के प्राचार्यों को पत्र लिखकर कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप, फील्ड प्रोजेक्ट, सामुदायिक जुड़ाव एवं सेवा (चार क्रेडिट) को शामिल किया गया है। यूजीसी के स्वयं पोर्टल पर उक्त कार्यक्रमों से जुड़ी सामग्री भी अब उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए सभी कुलसचिवों और प्राचार्यों से कहा गया है कि वह प्रचार.प्रसार कराएं ताकि छात्रों को जानकारी हासिल हो सके। इसके अलावा स्वयं पोर्टल पर अलग.अलग आनलाइन कोर्स का भी ब्यौरा दिया गया है। अपनी रुचि के अनुरूप छात्र इसमें पंजीकरण कराकर पठन सामग्री भी आनलाइन प्राप्त कर सकेंगे।
कोर्स तो पहले भी यूजीसी ने जारी कर दिए थे लेकिन पठन सामग्री की कमी के चलते छात्रों की रुचि इसकी ओर कम थी। इन नए कोर्स का फायदा ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को अधिक होगा क्योंकि उन तक संसाधनों की उपलब्धता नहीं हो पाती है। बताया गया कि यूजीसी के स्वयं पोर्टल पर कुछ कोर्स पहले से चल रहे हैं, लेकिन इसे नए सिरे से अपडेट किया गया है। भारतीय बौद्ध इतिहास और दर्शन से जुड़े नए कोर्स प्रारंभ किए गए हैं। इनके जरिए छात्र पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार पा सकेंगे। यह कोर्स नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के अनुरूप बनाए गए हैं।
इन विषयों के समन्वय नियुक्त
यूजीसी ने कहा है कि कुछ ऐसे पाठ्यक्रम जिनकी डिमांड है और छात्र पढऩा चाहते हैं लेकिन उन तक जानकारी नहीं होती। इसलिए कुछ महत्वपूर्ण विषयों के समन्वयक भी नियुक्त किए गए हैं जो छात्रों को आनलाइन सहायता उपलब्ध कराएंगे। इसमें प्रमुख रूप से भारतीय बौद्ध धर्म का इतिहास में प्रो. केटीएस सोराव दिल्ली, अभिधम्म (पाली) में प्रो. बिमलेन्द्र कुमार, बौद्ध दर्शन में प्रो. प्रदीप प्रभाकर वाराणसी, सामुदायिक जुड़ाव और सामाजिक उत्तरदायित्व पर प्रो. अक्षय कुमार सतसंगी आगरा को शामिल किया है। बौद्ध धर्म और दर्शन से जुड़े पाठ्यक्रमों पर इसलिए जोर दिया जा रहा है क्योंकि ये छात्रों को पर्यटन से जोड़ेंगे।