महापौर ने निभाया जनता से किया वादा, अब नहीं करनी पड़ेगी जेब खाली…
तेज खबर 24 रीवा।
रीवा नगर पालिक निगम महापौर अजय मिश्रा बाबा लगातार जनहित में निर्णय ले रहे हैं, उनके द्वारा पूर्व में जनता से किए गए वादे के अनुसार बढ़े संपत्तिकर को घटाने व इस वित्तीय वर्ष में किसी प्रकार का संपत्तिकर न बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया गया है। महापौर व उनकी एमआईसी द्वारा जनहित में संपत्तिकर को कम करने व इस वित्तीय वर्ष में किसी प्रकार का संपत्तिकर न बढ़ाए जाने को लेकर सर्वसहमति से निर्णय लेते हुए इस पर जल्द से जल्द कार्यवाही के निर्देश भी दिए।
गुुरुवार को हुई मेयर इन काउंसिल की 10वीं बैठक में उक्त प्रस्ताव को सर्वसहमति से स्वीकृति दी गई। चूंकि शासन के नियम अनुसार इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए एमआईसी के बाद परिषद् की स्वीकृति जरूरी है और इसके बाद इसे शासन को भेजा जाएगा जिसे देखते हुए महापौर अजय मिश्रा बाबा व उनकी एमआईसी ने संपत्तिकर घटाने व नए वित्तीय वर्ष में किसी प्रकार का संपत्तिकर न बढ़ाने का प्रस्ताव पास कर परिषद् में भेजा है। गुरुवार को आयोजित मेयर इन काउंसिल की बैठक में एमआईसी सदस्य राजस्व विभाग डॉ.रमा दुबे ने बैठक में चर्चा के दौरान सुझाव दिया कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार के भवन, भूस्वामी को सम्पत्तिकर से पूर्ण छूट दी जाय।
इसके अलावा रीवा नगर के सभी भवन, भूस्वामियों को सम्पत्तिकर में 25 प्रतिशत की रियायत दी जाय, खाली पड़े, डायवर्टेड भूमि में लगने वाले सम्पत्तिकर को समाप्त करने का प्रस्ताव शासन को भेजा जाय। वहीं धनेन्द्र सिंह बघेल प्रभारी सदस्या लोक निर्माण तथा उद्यान विभाग ने सुझाव दिया कि शिक्षा उपकर की दर 3 प्रतिशत प्रस्तावित है, हमारा प्रस्ताव है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में कर योग्य सम्पत्ति मूल्य पर एक प्रतिशत शिक्षा उपकर निर्धारित किया जाय। जिस पर चर्चा के बाद मध्य प्रदेश नगरपालिका भवन एवं भूमियों के कर योग्य सम्पत्ति मूल्य का निर्धारण नियम, 2020 में प्रत्येक वर्ष कलेक्टर गाईड लाइन के आधार पर कर योग्य सम्पत्ति मूल्य की दरों के निर्धारण के प्रावधान से सम्पत्ति कर दाताओं को प्रत्येक वर्ष अतिरिक्त वित्तीय भार उठाना पड़ेगा।
मेयर-इन-काउंसिल का मत है कि जनहित में प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार कलेक्टर गाईड लाइन के आधार पर नगर पालिका क्षेत्र का वर्गीकरण, भवन तथा भूमियों का वर्गीकरण, कर योग्य सम्पत्ति मूल्य का निर्धारण किया जाय, ऐसा संशोधन नियम 2020 में किया जाना आवश्यक है। संशोधित अधिनियम नियम 2021, जिसका प्रकाशन मध्य प्रदेश राजपत्र संख्या 192 दिनांक 3 अप्रैल 2021 को किया गया, जिसमें म.प्र. नगरपालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 145, 146, 147, 148 को विलोपित कर, मूल्यांकन की सार्वजनिक सूचना, मूल्यांकन के विरूद्ध शिकायत, को आपत्ति आदि का अधिकार नागरिकों से छीन लिया गया, जनहित में इन धाराओं का प्रावधान पुन: अधिनियम में किया जाना आवश्यक है।